उत्तराखंड में बाघों की संख्या बढ़ने के साथ ही वे अब पारंपरिक क्षेत्रों से निकलकर नए इलाकों में भी दस्तक दे रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर सामने आई जानकारी के मुताबिक, नरेंद्रनगर और चंपावत वन प्रभागों में बाघों की मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं। यह पहला मौका है जब इन क्षेत्रों में बाघों की सक्रियता दर्ज की गई है।
नरेंद्रनगर वन प्रभाग के डीएफओ जीवन दगाड़े ने बताया कि एक वर्ष पूर्व WWF के माध्यम से कराए गए अध्ययन में दो बाघों की मौजूदगी की पुष्टि हुई थी। हालांकि, कैमरा ट्रैप में उनकी कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं मिली। इसी क्षेत्र के शिवपुरी इलाके में जून माह में एक बाघ शावक का शव भी बरामद हुआ था, जिससे यहां बाघों की उपस्थिति की संभावना और मजबूत हुई है।
चंपावत वन प्रभाग में भी कैमरा ट्रैप की मदद से दो बाघों की मौजूदगी दर्ज की गई है। डीएफओ नवीन पंत ने बताया कि कैमरा ट्रैप की संख्या और बढ़ाई जा रही है, जिससे क्षेत्र में संभावित अन्य बाघों की पहचान हो सके।
वहीं, राजाजी टाइगर रिजर्व के लिए लाया गया एक बाघ फिलहाल देहरादून वन प्रभाग में है और उस पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। रिजर्व के निदेशक कोको रोसे के अनुसार, बाघ की हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।
यह संकेत हैं कि उत्तराखंड में बाघों की संख्या व दायरा दोनों में वृद्धि हो रही है। राज्य सरकार और वन विभाग के लिए यह जैव विविधता और वन्यजीव संरक्षण की दिशा में सकारात्मक संकेत है।