देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस में इस बार प्रदेश कार्यकारिणी का गठन संगठनात्मक दृष्टि से आसान नहीं रहने वाला है। कांग्रेस हाईकमान के निर्देशों के अनुसार इस बार एक छोटी प्रदेश कार्यकारिणी का गठन किया जाना है, जो प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के लिए बड़ी राजनीतिक और संगठनात्मक चुनौती बन गया है। पार्टी को न केवल राज्य में मजबूती देनी है, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी भी इसी कार्यकारिणी के जरिए करनी है।
प्रदेश कार्यकारिणी के गठन में संगठनात्मक संतुलन, जातीय और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व, वरिष्ठ नेताओं के समर्थकों का समायोजन और जिला स्तर पर प्रभावशाली चेहरों को साथ लेना—इन सभी पहलुओं के बीच सीमित पदों में संतुलन साधना आसान नहीं होगा। कांग्रेस हाईकमान ने इस बार अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष के अतिरिक्त केवल 8 उपाध्यक्ष, 22 महासचिव और 40 सचिव नियुक्त करने की अनुमति दी है। यानी कुल मिलाकर सिर्फ 72 पद ही उपलब्ध होंगे।
इसके विपरीत, पिछली प्रदेश कार्यकारिणी को जंबो आकार दिया गया था। उस समय 40 उपाध्यक्ष, 70 महासचिव और 120 सचिवों समेत 230 से अधिक नेताओं को संगठन में पद दिए गए थे। इसके बावजूद कई नेता असंतुष्ट रहे और संगठन में और पदों की मांग होती रही। अब सीमित पदों में सभी गुटों और वरिष्ठ नेताओं को संतुष्ट करना कांग्रेस नेतृत्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है।
कांग्रेस में पूर्व अनुभव यह भी रहा है कि कई नेता जमीनी पकड़ कमजोर होने के बावजूद प्रदेश स्तरीय पद से नीचे किसी जिम्मेदारी को स्वीकार करने को तैयार नहीं होते। ऐसे में जिला या ब्लॉक स्तर की जिम्मेदारियों से बचने की प्रवृत्ति संगठन की मजबूती के रास्ते में बड़ी बाधा बन रही है।
सूत्रों के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं चकराता विधायक प्रीतम सिंह गुट के समर्थकों को भी कार्यकारिणी में संतुलित प्रतिनिधित्व देना आवश्यक होगा। इससे पहले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा अपने पूरे कार्यकाल में प्रदेश कार्यकारिणी का गठन नहीं कर पाए थे, क्योंकि गुटीय संतुलन साधना बेहद कठिन साबित हुआ था।
इस बीच कांग्रेस चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने दावा किया है कि इस बार कार्यकारिणी गठन में देरी नहीं होगी। उनके अनुसार, इसका पूरा ब्लूप्रिंट तैयार किया जा चुका है और जल्द ही प्रदेश कांग्रेस को नई कार्यकारिणी मिल सकती है।
संगठन के सामने एक और बड़ी चुनौती जमीनी स्तर पर खड़ी है। आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए कांग्रेस को 11 हजार से अधिक बूथ लेवल एजेंट (BLA) तैयार करने हैं, लेकिन पार्टी के कई नेता इस महत्वपूर्ण कार्य में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। अधिकांश नेता बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने के बजाय प्रदेश या जिला स्तर के पद की अपेक्षा कर रहे हैं, जो पार्टी की चुनावी तैयारियों के लिए चिंता का विषय है।
कुल मिलाकर, छोटी प्रदेश कार्यकारिणी कांग्रेस के लिए संगठनात्मक अनुशासन और जमीनी मजबूती की कसौटी बनने जा रही है। अब देखना होगा कि प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल किस तरह संतुलन साधते हुए पार्टी को एकजुट कर पाते हैं।