वाराणसी: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने वाराणसी दौरे के दौरान संघ के विचार और दृष्टिकोण पर स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने कहा कि संघ में किसी की पूजा पद्धति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता, बल्कि संघ का मूल आधार राष्ट्रभक्ति है, न कि किसी विशेष धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन।
भागवत लाजपत नगर पार्क में आयोजित एक प्रातःकालीन शाखा सत्र में स्वयंसेवकों से संवाद कर रहे थे। इस दौरान जब एक स्वयंसेवक ने पूछा कि “क्या मैं अपने मुस्लिम पड़ोसी को शाखा में ला सकता हूं?” तो भागवत ने जवाब दिया, “संघ में सभी भारतीयों का स्वागत है, जब तक वे देश से प्रेम करते हैं और राष्ट्रध्वज तथा भगवा ध्वज का सम्मान करते हैं।”
भागवत ने यह भी कहा, “संघ में कोई भेदभाव नहीं होता। हम धर्म, जाति या संप्रदाय को नहीं देखते, हम केवल राष्ट्रभक्ति को देखते हैं।” उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि केवल वो लोग जिन्हें खुद को औरंगज़ेब का वंशज मानते हैं, उन्हें छोड़कर बाकी सभी भारतीय संघ में शामिल हो सकते हैं।
भारत की विविधता और एकता पर जोर
मोहन भागवत ने भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता को देश की पहचान बताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि देश की संस्कृति और मूल भावना एक ही है। “Indian Culture एक है, और यही संघ की विचारधारा की आत्मा है,” उन्होंने कहा।
अखंड भारत का लक्ष्य
बिना पाकिस्तान का नाम लिए हुए, भागवत ने कहा कि जो लोग अखंड भारत को अव्यवहारिक मानते हैं, उन्हें सिंध प्रांत की स्थिति देखनी चाहिए। “भारत से कटे हुए हिस्सों की दुर्दशा ये सिद्ध करती है कि अखंड भारत सिर्फ एक विचार नहीं, बल्कि एक व्यवहारिक लक्ष्य भी है,” उन्होंने कहा।
नीम का पौधारोपण और विकास पर चर्चा
कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने नीम का पौधारोपण भी किया और शहर के विकास को लेकर अधिकारियों के साथ चर्चा की। नगर निगम आयुक्त अक्षत वर्मा और मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल भी उपस्थित थे, जिन्होंने स्वच्छता, जनभागीदारी और समग्र शहरी विकास जैसे विषयों पर विचार-विमर्श किया।
वरिष्ठ स्वयंसेवकों की उपस्थिति
इस विशेष अवसर पर RSS काशी प्रांत के सर कार्यवाह वीरेंद्र जायसवाल, प्रचारक रमेश कुमार, डॉ. हेमंत गुप्ता, नितिन, डॉ. शिवेश्वर राय, राजेश त्रिवेदी, दिनेश कालरा और रजनीश कनौजिया समेत कई वरिष्ठ स्वयंसेवक उपस्थित थे।