केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा देहरादून में दो दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में केंद्रीय मंत्री, विभिन्न प्रदेशों के समाज कल्याण मंत्री और अधिकारी शामिल हुए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत पिछले एक दशक में 30 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर लाने की उपलब्धि साझा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह चिंतन शिविर प्रदेश के लिए गर्व की बात है, क्योंकि यह सामाजिक न्याय जैसे महत्वपूर्ण विषय पर राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह शिविर बाबा साहब अंबेडकर और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों का विस्तार है, और इसमें की जाने वाली चर्चा से भविष्य में सामाजिक सशक्तिकरण की नीतियों का रोडमैप तैयार होगा।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने न केवल गरीबी उन्मूलन की दिशा में काम किया है, बल्कि बुजुर्गों, विधवाओं, और दिव्यांगजनों के लिए विशेष पेंशन योजनाओं और छात्रवृत्तियों के माध्यम से उनका जीवन स्तर सुधारने का प्रयास किया है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार वृद्धावस्था पेंशन बढ़ाने, अंत्योदय परिवारों को गैस सिलेंडर मुफ्त देने, और अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के बच्चों के लिए छात्रवृत्तियों एवं आवासीय विद्यालयों की व्यवस्था कर रही है।
केंद्र सरकार की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल की आवश्यकता पर बल देते हुए केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा कि राज्य व केंद्र सरकारों को मिलकर नशा मुक्ति जैसे गंभीर मुद्दे पर काम करना चाहिए। उन्होंने चिंतन शिविर के दौरान इस बात का उल्लेख किया कि पिछले कुछ वर्षों में नशे की समस्या बढ़ी है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि युवा इस चपेट में आ रहे हैं।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा ने कहा कि वित्तीय वर्ष के अंत के बाद चिंतन शिविर का आयोजन इस उद्देश्य से किया गया है ताकि केंद्र और राज्य मिलकर योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए शुरुआत में ही जानकारी साझा करें। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने भी वंचित समुदायों को न्याय दिलाने में अपनी जिम्मेदारी पर जोर दिया।
मुख्यमंत्री धामी ने राज्य सरकार के द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी, जिसमें नशामुक्त देवभूमि अभियान, दिव्यांगजनों के लिए आरक्षण और अनुसूचित जाति/जनजाति के बच्चों के लिए विभिन्न योजनाएं शामिल हैं।
इस चिंतन शिविर में 15 राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए, जो कि योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर तालमेल की ओर एक सकारात्मक कदम है।