उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय में हुई कथित बैकडोर भर्तियों के मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए अगली तारीख 21 जुलाई 2025 तय की है। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया गया कि राज्य सरकार द्वारा हटाए गए कर्मचारियों से वेतन और भत्तों की वसूली शुरू की जा चुकी है, ऐसे में मामले की शीघ्र और व्यापक जांच आवश्यक है।
क्या है मामला?
देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर और बैजनाथ द्वारा दाखिल जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2000 से 2022 तक उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय में बिना लिखित परीक्षा, विज्ञापन या आरक्षण नीति के सैकड़ों भर्तियां की गईं।
याचिका में कहा गया है कि विधानसभा द्वारा गठित जांच समिति ने वर्ष 2016 के बाद की 228 नियुक्तियों को रद्द कर दिया है, लेकिन 2016 से पहले की भर्तियों को नजरअंदाज कर दिया गया, जबकि यह सिलसिला राज्य गठन के साथ ही शुरू हो गया था।
हटाए गए कर्मचारियों से वसूली
राज्य सरकार ने जिन कर्मचारियों को अवैध नियुक्ति के आधार पर पद से हटाया, उनसे अब वेतन और भत्तों की वसूली की जा रही है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह वसूली सिर्फ कर्मचारियों तक सीमित न रहकर, राजनीतिक नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों तक भी होनी चाहिए, जिन्होंने इस अनियमित प्रक्रिया में भूमिका निभाई।
कानूनी और संवैधानिक उल्लंघन
याचिका में आरोप है कि नियुक्तियां 6 फरवरी 2003 के शासनादेश के बावजूद की गईं, जिसमें तदर्थ नियुक्तियों पर रोक थी। इसके अलावा, यह प्रक्रिया भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 187 का भी उल्लंघन करती है। साथ ही, उत्तर प्रदेश विधानसभा की 1974 की सेवा नियमावली और उत्तराखंड विधानसभा की 2011 की सेवा नियमावली का भी पालन नहीं किया गया।
याचिकाकर्ता की मुख्य मांगें
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हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में स्वतंत्र जांच।
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दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों और नेताओं से वेतन व लाभ की वसूली।
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मामले में आपराधिक मुकदमा दर्ज कर सख्त कार्रवाई।
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2016 से पहले की भर्तियों की पुनः समीक्षा और अवैध नियुक्तियों को रद्द किया जाए।
अगली सुनवाई 21 जुलाई को
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई की तारीख 21 जुलाई 2025 तय की है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या अदालत सरकार को 2016 से पहले की नियुक्तियों की जांच के आदेश देगी और दोषियों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे।