उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों का माहौल पूरे जोर पर है। राज्य के 12 जिलों (हरिद्वार को छोड़कर) में पंचायती लोकतंत्र के इस महापर्व में इस बार महिलाओं ने अपनी अभूतपूर्व भागीदारी से इतिहास रचने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।
2 जुलाई से 5 जुलाई के बीच नामांकन प्रक्रिया पूरी हुई। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार कुल 63,569 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया, जिनमें से 37,356 महिलाएं हैं। यानी करीब 59% नामांकन महिलाओं द्वारा किया गया, जो अब तक की सबसे मजबूत उपस्थिति मानी जा रही है।
महिलाओं की बढ़ती राजनीतिक जागरूकता
महिलाओं की यह भागीदारी केवल आरक्षण तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने स्वेच्छा से आगे आकर नेतृत्व की आकांक्षा प्रकट की है। राज्य सरकार द्वारा पंचायत चुनावों में महिलाओं के लिए 50% से अधिक आरक्षण निर्धारित किया गया, जिसका प्रभाव जमीनी स्तर पर स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है।
पदवार नामांकन विवरण:
पद | कुल पद | कुल उम्मीदवार | महिला उम्मीदवार |
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जिला पंचायत सदस्य | 358 | 1,885 | 931 |
क्षेत्र पंचायत सदस्य | 2,974 | 11,478 | 6,221 |
ग्राम प्रधान | 7,499 | 21,912 | 12,510 |
ग्राम पंचायत सदस्य | 55,587 | 28,294 | 17,694 |
कुल | 66,418 | 63,569 | 37,356 |
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि हर स्तर पर महिलाओं ने मजबूती से उपस्थिति दर्ज कराई है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण और नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है।
सामाजिक वर्गों के अनुसार नामांकन स्थिति:
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अनुसूचित जनजाति (ST): 2,401 उम्मीदवार
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अनुसूचित जाति (SC): 11,208 उम्मीदवार
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अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC): 4,532 उम्मीदवार
इन आंकड़ों से यह भी जाहिर होता है कि पंचायत चुनाव सामाजिक न्याय और समावेशी भागीदारी को बढ़ावा दे रहे हैं।
आगे की प्रक्रिया:
नामांकन प्रक्रिया के समाप्त होने के बाद 9 जुलाई तक नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। इसके पश्चात वैध उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी की जाएगी और चुनावी प्रक्रिया अगले चरण में आगे बढ़ेगी।
निष्कर्ष:
उत्तराखंड के पंचायत चुनावों में महिलाओं की निर्णायक भागीदारी ने ना केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नई दिशा दी है, बल्कि यह भविष्य में स्थानीय नेतृत्व और नीति निर्माण में उनकी भूमिका को और सशक्त बनाएगी। यह चुनाव महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बनकर उभर रहा है।