उत्तराखंड के चमोली जनपद में स्थित रुद्रनाथ मंदिर, जो चतुर्थ केदार के रूप में प्रसिद्ध है, अब पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए और अधिक सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से सुलभ होगा। रुद्रनाथ यात्रा पर जाने के लिए अब पर्यटकों को ऑनलाइन पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा, जिससे यात्रा की सुरक्षा और पर्यटकों की संख्या पर नियंत्रण रखा जा सकेगा।
इस नई व्यवस्था के तहत, प्रतिदिन एक निश्चित संख्या में ही श्रद्धालु और पर्यटक रुद्रनाथ के दर्शन के लिए यात्रा करेंगे। यह व्यवस्था पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, ताकि यात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
नई व्यवस्था और स्थानीय लोगों को रोजगार
रुद्रनाथ यात्रा को और अधिक आकर्षक और सुविधाजनक बनाने के लिए अब ऑनलाइन पंजीकरण की योजना लागू की जा रही है। इस व्यवस्था के तहत, यात्रा के लिए पंजीकरण करने के बाद, श्रद्धालुओं को एक निर्धारित समय पर यात्रा पर भेजा जाएगा। इसके लिए स्थानीय गांवों में इको डेवलपमेंट कमेटी (ईडीसी) को सशक्त किया जाएगा, जो गांव में होम स्टे की व्यवस्था भी करेगी।
ईडीसी द्वारा यात्रियों के लिए प्रशिक्षित गाइड की सेवाएं भी उपलब्ध करवाई जाएंगी। इसके अतिरिक्त, रुद्रनाथ यात्रा के लिए अस्थायी आवास और भोजन की सुविधाएं भी ईडीसी के माध्यम से प्रदान की जाएंगी, जिससे स्थानीय समुदाय को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
यात्रियों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान
केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग द्वारा रुद्रनाथ पैदल यात्रा का संचालन इको विकास समिति के माध्यम से किया जाएगा। इसके लिए एक निश्चित शुल्क भी निर्धारित किया जाएगा। यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, यात्रा मार्ग पर एक निर्धारित समय के बाद यात्रियों को अगले दिन यात्रा करने के लिए इंतजार करना होगा। इसके साथ ही, अस्थायी टेंट और भोजन से जुड़ी सुविधाएं भी ईडीसी द्वारा उपलब्ध करवाई जाएंगी।
इस व्यवस्था के शुरू होने से न केवल पर्यटकों को बेहतर सुविधा मिलेगी, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे, जिससे उनकी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव आएगा।